18 January, 2009

क्या स्वार्थी होना गुनाह है


क्या स्वार्थी होना गुनाह है

मेरे विचार से बिल्कुल नहीं

गर तुम सच में इस शब्द के भाव में जाओगे

तो अपने ख़ुद के स्वाभाव में भी इसे पाओगे

स्व के अर्थ को समझना ही स्वार्थ है

सच में येही इसका असली भावार्थ है .




6 comments:

  1. बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  2. हिंदी ब्लॉगजगत में आपका हार्दिक स्वागत है .
    आपकी लेखनी सदैव गतिमान रहे .....

    मेरी शुभकामनाएं ......

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  3. बहुत अच्छा! सुंदर लेखन के साथ चिट्ठों की दुनिया में स्वागत है। चिट्ठाजगत से जुडऩे के बाद मैंने खुद को हमेशा खुद को जिज्ञासु पाया। चिट्ठा के उन दोस्तों से मिलने की तलब, जो अपने लेखन से रू-ब-रू होने का मौका दे रहे हैं एक तलब का एहसास हुआ। आप भी इस विशाल सागर शब्दों के खूब गोते लगाएं। मिलते रहेंगे। शुभकामनाएं।

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  4. This comment has been removed by a blog administrator.

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  5. रंजीत भाई का ब्लॉग की दुनियाँ में स्वागर।

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Apna time aayega