मैंने पूछा की भाई दुःख का कारन क्या है
हम क्यूँ हमेशा रहते हैं दुखी और उदास
गुरूजी मुस्कुराये
और उनकी ये बात मुझको भा गई
मेरे चेहरे पे भी मुस्कराहट आगई
बोले
कारण दुःख का कुछ नही विज्ञापन है
टीवी आपको बतलाती है
की आप हीन है
या हसीन हैं
गर फलां प्रोडक्ट आपके पास है
तभी आप जीने के काबिल हैं
और समाज में आपकी पहचान है
वरना आप क्या हैं
और आपकी औकात क्या है
जीवन में गर खुशी चाहते हो
तो ये प्रोडक्ट जरूरी है
पर तुम तो आम आदमी हो
तुम्हारी कितनी मजबूरी है
तो जान लो गर विज्ञापन के मायाजाल में फन्सोंगे
तो तुम ख़ुद बताओ बेटा की तुम कैसे हंसोगे.
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