हर आदमी के अंदर दो कुत्ता होता है
एक अच्छे तो दूसरा बुरे विचार बोता है
हाँथ अपने है किसे खाना खिलाएं हम
कौन कुत्ता जयादा वफादार होता है
अक्सर होता ऐसा , हम ये भूल जाते हैं
दुसरे कुत्ते को ही बोटी खिलते हैं
पहला कुत्ता होता कुपोषण का शिकार है
दुसरे के सामने दीखता बीमार है
विचार अपना हमें स्वयं बदलना है
भौकने वालों से अब नही मचलना है
देखना है मिले रोटी उसी कुत्ते को
जिसके बताये रास्ते पे आगे चलना है.
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