28 January, 2009
मौन की भी आवाज होती है ......................
27 January, 2009
एक बीज लगाना है आँगन में दिल के तेरे .................................
26 January, 2009
दोस्ती का अंदाज़ ही निराला है ...............
क्योंकि तुम्हारे दोस्ती का अंदाज़
ही निराला है
दिखाते हो तुम की तुम्हारे वजह से
लोगों का अस्तित्व है
सीमायें तय करते हो तुम
देखना कहीं तुम्हारी धूर्तता
तुम्हे न करदे ghutna टेकने पे मजबूर
भूलना नही की तुम भगवन नही
कब तक करते रहोगे लोगो का अपमान
जानता हु मैं तुम हिन् भावना के शिकार हो
एक दिन हिसाब सारे देने होंगे तुम्हे
तब शायद मेरे कंधे की जरूरत हो
ध्यान से देखना मुझे वहां पाओगे
क्या हुआ जो हर वक्त किया जलील मुझे
और बनाया मोहरा
सवाल इतने हैं की जवाब न दे पाओगे.
25 January, 2009
प्यार एहसास है जो दिल में उतर जाता है .........................
24 January, 2009
तिलक मैं विश्व के उन्नत ललाट पर लगा जाऊँगा.....................
डोंट वरी आ गया फिर २६ जनवरी..................
आ गया फिर २६ जनवरी
23 January, 2009
दुःख का कारण विज्ञापन प्रसारण............
हर इंसान की जिन्दगी एक बेस्ट सेलर कहानी होती है .......................
हर इंसान की जिन्दगी एक बेस्ट सेलर कहानी होती है
जिसका नायक वो स्वयं होता है
और कहानी होती है संघर्षों की गाथा
मेरी भी कहानी में ट्विस्ट है
और वो जो मुख्य आर्टिस्ट है
वो जनाब मैं नहीं
मेरा चंचल मन है
हमेशा कलाबाजियां खाता है
हर घटना में विचलित हो जाता है
इसके कारण मेरे अन्दर का कलाकार सोया हुआ है
अपने ही कहानी में साइड आर्टिस्ट की तरह खोया हुआ है
अब वो वक्त आगया है की परदे के चकाचौन्द में वो साइड आर्टिस्ट आए
अपने कहानी का स्वयं बने मुख्य कलाकार
बंद हो मन की उदंडता कहानी को मिले मजबूत आधार.
22 January, 2009
कभी दिल में जो लहर उठती है ...............
21 January, 2009
तुम मुझे इस कदर याद आने लगी हो ...................
तुम आई तो ऐसा लगा मेरे मन को
पा लिया जैसे मैंने हर खुशी एक क्षण को
उसको मिलेगा तुम्हरा ही chehra
चलो जरा मुस्कुराते हैं .........................
जो जिंदिगी के गम है उनको भूलाते हैं चलो.....
जानते हो तुम दुखी क्यूँ , क्यूँ उदास हो
क्या है वो जिसके वजह से बदहवास हो
जो भी हो कारन मैं तो बस ये मानता हूँ
जिंदिगी का नियम यह अच्छी तरह से जनता हूँ
की परीक्षा पहले आती बाद में मिलती सबक
मुस्कुराना सीख लो तुम है तुम्हारा ही ये हक़
मुस्कुराके जिन्दगी के पाठ लेते बढ़ चलो
मुश्किलों के गोद में भी खूब तुम फूलो फलो.
20 January, 2009
हर आदमी के अंदर दो कुत्ता होता है ...............
हर आदमी के अंदर दो कुत्ता होता है
एक अच्छे तो दूसरा बुरे विचार बोता है
हाँथ अपने है किसे खाना खिलाएं हम
कौन कुत्ता जयादा वफादार होता है
अक्सर होता ऐसा , हम ये भूल जाते हैं
दुसरे कुत्ते को ही बोटी खिलते हैं
पहला कुत्ता होता कुपोषण का शिकार है
दुसरे के सामने दीखता बीमार है
विचार अपना हमें स्वयं बदलना है
भौकने वालों से अब नही मचलना है
देखना है मिले रोटी उसी कुत्ते को
जिसके बताये रास्ते पे आगे चलना है.
आज मन के परे जाना है
19 January, 2009
चलो प्यार हम करते हैं ......
डीग्री का पतंग हम उडाते हैं..............
अपने डीग्री का पतंग हम उडाते हैं
इस कदर भीड़ में खो जायेंगे
रोज कतारों में ख़ुद को पायेंगे
नौकरी के इस जद्दोजहद में
डर है ख़ुद से जुदा हो जायेंगे
क्या पता मिल गए खुदा होते
जो ख़ुद से न हम जुदा होते
पर ये हालत आ गई है अभी
खुदा की बात आ गई है अभी
चाहता हूँ लौट जाऊँ गांव में
प्यार मिल जाए माँ के आँचल के छाओं में
ब्रेकिंग न्यूज़ ....................
18 January, 2009
हार से डरना क्या जब नाम ही जीत है.................
हार से डरना क्या जब नाम ही जीत है
मेरे स्वाभाव से सारा रणभूमि परिचित है
कर्ण है आदर्श मेरे मैभी हूँ उनसा सबल
दानवीर मैं ही हूँ देदे जो फिर कुंडल कवच
छल से गर लड़ना है तुमको हार भी मेरी जीत है
तुम कहो जायज़ सभी ये रन भूमि की रीत है
मेरा क्या खोने को है जो खो दूँ मैं अपना चरित्र
मेरे ह्रदय का रोम रोम है आज भी उतना पवित्र
क्या स्वार्थी होना गुनाह है
17 January, 2009
मेरे रामायण में मंथरा नही आती है....
दोस्ती हमने भी की है और निभाए यारी भी..................................
16 January, 2009
दोस्त कौन , कौन दुश्मन कौन सच्चा मीत है
15 January, 2009
सुपेरिओरिटी काम्प्लेक्स..............
एक गीत मैं लिखूंगा आवाज तुम दे देना .......
14 January, 2009
माँ मुझे तुम हमेशा याद आती हो ..............
जो सच है उसे स्वीकारना जरुरी है................
13 January, 2009
कैसे होगा जीना अब मन तू ही मुझे बतादे
जो थी संभावनाएं वो फिरसे जाजगी मन में
12 January, 2009
आंखों में फिर नमी है
कभी रोता है मन होता उदास है
11 January, 2009
अज्ञान का ज्ञान ...............
मन के प्रोग्रम्मिंग ..............
मैं बिस्तार पाना चाहता हूँ
जो निराधार है उसका आधार पाना चाहता हूँ
उड़ना चाहता हूँ पंखो को फैलाकर
चाहता हूँ करना आकाश से संवाद
पिंजडे को तोड़ होना चाहता हूँ आजाद
दोस्त करो कुछ ऐसा जैसा जामवंत ने किया था
और हनुमान के अन्दर की शक्ति जाग गई
और किया उसने नभ उदघोष
तोड़ दो लम्बी निंद्रा मेरी, रह जाए न ये अफसोश .
10 January, 2009
परिभाषा काव्य की
कभी तुम मुस्कुराते थे..............
सवेरा
फिर काहे का झगडा काहे का तेरा मेरा
डुगडुगी बजाता मदारी और मेला यह संसार
पर हर इंसान ये सोंचे उसके कंधे सब भार
उसके कंधे सब भार वही है सब का तारनहार
यही सोंच सब होता गोरख धंधा और व्यापार
पर तू तो है अंतर्यामी मुर्गे को ये बतलादे
कल फिर सूर्योदय होगा तू बांग दे या न दे
फिर ठंडी हवा चलेगी बगिया में खिलेंगे फूल
होगी चहल पहल और बच्चे जायेंगे स्कूल
फिर मन्दिर घंटी बजेगी और मस्जिद में होंगे नवाज
तेरी लाठी में है दम दिखला दे प्रभु तू आज
09 January, 2009
चक्रभिऊ
चलो उस राह पर चलें ....................
जीत
हमेशा जीभ वहां अटक जाती है जहाँ नहीं है दांत
और बन जाती है आभाव ही स्वाभाव
फिर लगता है कमी है जीवन में
और दुःख झेलता है इंसान
बन जाता यूँ जीवन समसान
तो सोयी चेतना कब जागेगी मालूम नहीं
उदास मन उदास ही रह जायेगी
कल्पना की पंख लिए कब तक करोगे विचरण दुःख के नभ में
आओ चलें मन को करने नमन तोडे सारे बन्धन
क्यूँ की झेल रहे हो डबल दुःख तुम
08 January, 2009
आज से शुभ इक्षा रखनी है
जानते हो इस बार कुछ भी नहीं है देने को तुम्हे
सिवाए इस विचार के की मांगने से कहाँ कुछ मिलता है
देते तो तुम हो हमेशा बस अब वो आँखें दे दो जो देख सके
इस संसार के परे उस सोर्स को जहाँ से सब कुछ आता है
क्योकि मन तो हमेशा श्रोत को भूल साधन में उलझ जाता है
कवि हृदय जीत
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जब गिरती है कोई गगन चुम्बी इमारत तब साथ गिरते हैं आस पास के मकान भी और धुल चाटती है ऐसे में ईमानदारी की झोपड़ी इसे सामूहिक निषेध कहते हैं इसी...
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जीवन एक संघर्ष है मैंने सुना है अनेको के मुख से और इस दौड़ में इंसान दूर हो जाता है सुख से शेष रह जाता है तनाव और अस...
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जब भी अकेलापन आपको सताएगा परिवार ही उस समय पे काम आएगा रह जायेंगी उपलब्धियाँ दीवार पर टंगी जब मायाजाल आपको ठेंगा दिखायेगा...